*GST सुन सुन कर ऐसे लग रहा है मानो व्यापारी एक स्वतंत्र व्यक्ति न हो कर किसी तानाशाही या कम्युनिस्ट देश की किसी फैक्ट्री का मजदूर है।*
*यहां पर पैसा व्यापारी का, दुकान व्यापारी की, सिरदर्दी व्यापारी की, नुकसान व्यापारी का, चोरी होने या घाटा होने पर नुकसान व्यापारी का।*
*इन सब के बावजूद*
... *कानून सरकार का* ---
*वो भी ऐसा की अच्छा अच्छा CA
भी गश खा जाए, आम व्यापारी की तो बात ही क्या है। कानून का मकड़जाल इतना कि मानो व्यापारी व्यापार न करके किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की 5 साल की डिग्री की पढ़ाई कर रहा हो।*
*ऊपर से सरकार का चाबुक और जेल का दरवाजा अलग तैयार है।*
*नेता बिरादरी में आपस में भले ही कुत्ते, बिल्ली का बैर हो पर जब बात अपने भले (पैसा,
वेतन, भत्ते बढ़ाने की) आती है तो सभी एक हो जाते हैं।*
*इसके अलावा यदि जनता को निचोड़ने का कोई कानून बनाना हो तो भी इस हमाम में सभी एक नजर आते हैं।*
*मोदी कहता था सारे टैक्सों का झंझट खत्म करके एक सिंपल ट्रांजेक्शन टैक्स 1 या 2%का रखूंगा ----
वह भी चुप है।*
*सैक्यूलर और राष्ट्रवादी पार्टियां चुप हैं। अरे सर, इतना झंझट व्यापारी के गले में क्यों डाल रहे हैं। आम व्यापारी तो वैसे ही मुंडी हिलाएगा जैसे उसका CA या वकील कहेगा --- हर जगह अंगूठा लगा देगा क्योंकि इतनी तकनीकी जानकारी रखने की समझ या समय आम व्यापारी भाई के पास कहां है।*
*सीधा सा एक टैक्स लगाइए 1
या 2%। सभी व्यापारी अपनी सेल पर 1 या 2%
टैक्स लगाएं और जमा कराएं -- झंझट खत्म।*
*5 - 6 जगह से माल निकल कर ही अंत में पांचवीं या छठी जगह पर रिटेल में काउंटर पर बिकता है तो 1
या 2% के हिसाब से 5-6% या 10-12%
टैक्स तो सरकार को मिल ही जाएगा।*
*लेकिन यहाँ GST
(लगभग 28%)की भारी गठरी का बोझ या तो ग्राहक उठाए या व्यापारी अपने पल्ले से दे।*
*1-2% टैक्स सिस्टम से इस टैक्स की गठरी का बोझ (जितनी जगह माल बिकेगा) उतनी जगह लगने से हर बंदे पर थोड़ा थोड़ा बोझ पड़ेगा। न व्यापारी परेशान होगा, न ग्राहक दुखी होगा और न चोरी होगी।*
*भारत-सरकार,*
*कुछ आपकी पार्टी के अन्नय-भक्त भी ऎसा सोचने लगे हैं।*
व्यापारी मित्रों
( 1 ) चुनाव के पहले tax
terror को समाप्त करने का वादा करने वाले मोदीजी ने अब उल्टा tax
terror को कई गुना बढ़ा दिया है l
( 2 ) Income tax raid ,
search , seizure , scrutiny cases ,
reassessment , notices आदि अपनी चरम सीमा पर है l
( 3 ) पूरे देश मे भय का माहौल बना दिया है l
मोदीजी खुद के गुणगाण मे ,
विदेश भ्रमण मे और प्रवचनों मे लिप्त है l
जेटली रोज़ व्यापारियों को जैल मे डालने और परिणाम भुगतने की धमकी दे रहे है l
( 4 ) आज तक किसी भी सरकार ने इस तरह की हरकत नही की l
जब विदेशो से काला धन लाने के नाम पर फूटी कौड़ी भी नही आई तो जेटली जी अपना चेहरा छिपाने के लिये हम व्यापारियों के पीछे पड़ गये है l
( 5 ) यह दिखाया जा रहा है कि व्यापारी समाज भ्रस्ट है l
लाखों लाखों करोड़ खा जाने वाले लोग ,
चुनाव मे बेशुमार काला धन खर्च करने वाले लोग ,
ईमानदारी का पाठ पढ़ा रहे है l
( 6 ) हम कर दाताऔ को ही कर चोर साबित करने मे लगे है ,
आतंक और मंदी का माहौल है,
भ्रष्ट अफसरों को मौज हो गई है l
निक्कमे , कामचोर , निर्ल्लज ,
भ्रष्ट , घूस खोर अधिकारीयों की पूरी फौज सक्रिय हो गई है l
घूसखोरी अपनी पराकाष्ठा पर है l
कोई रोकटोक नही है ,
officers को मनमानी करने की छूट है l
( 7 ) हम खुद capital
लाते है,
दिन रात मेहनत करके, खून पसीना बहाकर,
चौबीसों घंटों चिंतित रहकर, अपनी सुख सुविधा अपने health का ख़याल छोड़ कर काम मे लगे रहते है l
व्यापार और केवल व्यापार l
घर , परिवार , समाज, शिक्षा,
स्वास्थ्य का सोच नही पाते, केवल काम की धुन l व्यापार के सिवा कूछ भी नही l
हमारे working hours समाप्त ही नही होते बस लगे ही रहते है l पूरी ताकत से और ताकत से भी ज्यादा कर लेते है l
( 8 ) और इस आपाधापी मे मालूम ही नही होता कि कब कौन सी बीमारी लग गई ,
और लगता है कि शरीर का भी सोचना चाहिये था l
कितने समाजिक काम रह गये ,
घर परिवार का नही सोचा ,
केवल व्यापार और काम का ही सोचा l
जी तोड़ मेहनत करके चार पैसे जोड़ लिये पर काफी कूछ छूट जाता है l
( 9 ) पर एक संतोष रहता है कि हम कभी थके नही ,
काम करते गये ,
खुद काम मे लगे और बहुतों को काम दिया l
कितने ही परिवारों का पालन पोषण हुआ l
( 10 ) किस तरह अपनी मेहनत से पूराने काम को या किसी नये business
को , तिल तिल कर आगे बढ़ाया,
असफलता का मुकाबला किया ,
कितने risk लिये , कितनी कठिन स्थिति से गुजरे ,
समय समय पर लिये सटीक निर्णय आदि का ख़याल कितना संतोष देता है l
पर कहीं से भी या किसी भी तरह कोई भी मंत्री हमारी देश हित मे भागीदारी का उल्लेख नही करता l
( 11 ) लगता है इस देश मे व्यापार करना जैसे कोई अपराध या गुनाह है l
इतने कानून बना दिये है ,
इतने license बना दिये है , इतने तरह की formalities
है कि इनका ठीक ठीक maintenance
सम्भव ही नही है l
इनमें ही ज्यादा समय ,
और शक्ति लग जाती है ,
कारोबार के लिये कम समय रह जाता है l
( 12 ) और यही से सरकारी अफसरों की मनमानी शुरू होती है l
यहीं से घूसखोरी और भ्रष्टाचार का जन्म होता है l
यह तो कानून बनाने वाले भी जानते है कि इतना सम्भव ही नही है l
पर उनको इससे क्या ?
घूसखोरी और भ्रष्टचार को बढ़ावा देना ही जिनका मकसद है वे कभी भी सुधार नही चाहते l
जब मन किया notice
भेज दिया ,
जब मन किया detalis
माँगली , जब भी दिल किया पूछताछ के लिये चले आये l हमको तो आतंकवादियों से भी ज्यादा जिल्लत और अपमान सहना होता है l
( 13 ) और इससे क्या फायदा होता है ,
किसका भला होता है ,
क्या मकसद पूरा होता है ,
देश का समाज का कुछ भला होता है क्या ?
ये भ्रष्ट officers
लोग क्या काम कर रहे है l
ये देश को दीमक की तरह चाट रहे है ,
खोखला कर रहे है l
( 14 ) इस कारण कारोबारी समाज का शिक्षित नवजवान ,
और वर्तमान पीढी business
मे रुचि नही ले रही है l
दूसरों को काम दे सकने की छमता रखने वाले खुद काम माँग रहे है l
आरामतलब जिंदगी की तमन्ना पनप रही है l
बहूत ही भयावह स्थिति है l
ये देश हित मे नही है l
जिस समाज ने करोड़ों करोड़ों हाथों को काम दिया है उसका उदासीन होना खतरनाक है l
( 15 ) कितनी भी विदेशी पूँजी आजाये ,
कितने भी नये रोजगार पैदा हो जाये किंतु इसकी भरपाई सम्भव नही है l
बिना मतलब के कानूनों को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिये l
single point taxation ही इसका उपाय है l
( 16 ) हम व्यापारी तो हाथ जोड़ कर tax
देना चाहते है l
पर इतने तरह के tax
, इतने तरह के झंझट नही चाहते l
जितना जरूरी हो एक साथ ,
एक ही जगह tax
लगा देना चाहिये l
हम खुशी खुशी देंगे l
किंतु इन भ्रष्ट officers,
inspectors, notices, licences, renewals, records maintainance आदि से मुक्ति चाहते है l
( 17 ) हम चाहते है इन एक नम्बर दो नम्बर के बही खातों और कच्चे पक्के बही खातों की समाप्ति हो l
ये सब भ्रष्ट कानूनों और भ्रष्ट सरकारी अफसरों की देन है l
हमको तो इस भ्रष्ट व्यवस्था मे लिप्त किया गया है ,
हमारी चाहत नही है बल्कि मजबूरी है l
हम तो परेशान है ,
त्रस्त है और इसकी समाप्ति चाहते है l
( 18 ) हम middle
class के छोटे बड़े कारोबारी शांति प्रिय लोग है l
हमको अपने दो हाथों ,
अपनी मेहनत और कार्य कुशलता पर भरोसा है l
हम जंगल मे मंगल कर सकते है l
हम विदेशी capital
या किसी reservation
के मोहताज नही है l
हम दंगा फ़साद ,
आगजनी , आंदोलन , हिंसा वाले लोग नही है l
हम तो हाथ जोड़ कर माननीय प्रधान मंत्री मोदीजी से विनती करते है कि यदि हमारी मांगो मे ज़रा भी सचाई हो और यदि उनको लगे कि ये समय माँग है और सबसे बढ़कर यदि ये देश हित मे है तो ज़रूर से कृपया कानूनों की जटिलताओं से व्यापार को मुक्त करिये l
हम व्यापारी समाज और ये देश हमेशा आपके ऋणी रहेंगे l
( "व्यापारी मित्रों से निवेदन है ,
यदि उनको उचित लगे तो ज्यादा से ज्यादा forward
करिये " )
व्यापारी गण चाहते है की लिखा पडी कम से कम करना पडे। कम से कम कागजी कार्यवाही हो।कम से कम समय में सरकारी काम निपट जाये। व्यापारी ,
अपने व्यापार पर ज्यादा ध्यान देना चाहता है। आज तक नोवीं ,दसवीं पास स्टुडेंट ही व्यापार को प्राथमिकता देते थे।कालेज में जाने के बाद सिर्फ बीकांम के स्टुडेंट व्यापार को प्राथमिकता देने लगे। कुछ खानदानी लोग भी व्यापार पर ध्यान देते है।
आज सरकार GST जुलाई से लागू करने जा रही है । जिसमें एक माह में तीन तीन रिटर्न भरने.है । प्रत्येक माह में तीन रिटर्न भरने है। गलती की सम्भावना भी बड जायेगी। गलतियों को सुधारने का अवसर भी कम समय का मिलेगा। तीन रिटर्न भी एक साथ नहीं भरना है।
अब व्यापारी ,
व्यापार करें या पूरे माह GST
के रिटर्न भरने की ही तैयारी करता रहे।
अब व्यापारी के.सामने रिटर्न भरने में जो समस्या आने वाली है , वह इस प्रकार है।
1:- सभी व्यापारी को अनिवार्य रुप से मुनिम / वकील रखना होगा।
2:- प्रतिदिन खरीदी और बिक्री बिल अपने एकाउंटटेंट को देना होगा।
3:- एक माह के पूरा होते ही खुद.को उन आये गये बिलों की पडताल करना होगा।
4:- व्यापारी को कोई हक नहीं बनता की वह शादी विवाह में जाये ।
5:- घूमने फिरने और मनोरंजन की भी पांबदी हो जायेगी।
6:- परिवार में मृत्यु होने पर भी उसे तीन दिन दुख मनाने की आवश्यकता नहीं होगी ।
7:- एक एक व्यापारी को दो - दो एकाउंट टेंट रखना होगा। कभी किसी के बिमार पडने ,
गैर हाजिर रहने या किसी कारण से उपस्थित न होने पर भी उसके व्यापार की लिखा - पडी में रुकावट पैदा न हो।
8:- जो व्यापारी सिर्फ एकल है ,
वे भी अब अपना व्यवसाय बन्द करके किसी अन्य व्यापारी के यहाँ नोकरी कर ले। अन्यथा उसे भी बीमार होने और पार्टी शार्टी करने का अधिकार नहीं होगा।
9:- अब व्यापारी को कमाई से ज्यादा ,अपने व्यापार में होने वाले खर्च पर ध्यान देना होगा।
10:- जीएसटी में सजा होने पर व्यापारी को अपने व्यापार और परिवार को सम्भालने के लिए एक नई व्यवस्था करनी होगी ।
ऐसे अनेक समस्याओं से व्यापारी को जूझने के लिए एक जुलाई से तैयार हो जाना चाहिए।
व्यापारी अब ,
व्यापार करने नहीं ,
बल्कि व्यापार के युद्व में लडने को उतरने को तैयार होकर व्यापार करें। सरकार जहां व्यापार को आराम दायक बनाने के नाम पर GST
लेकर आ रही है । वही उसके साथ व्यापारियों के लिए अनेक मुसीबत को भी लेकर आ रही है।
GST
को बहुत ही उलझाऊ रुप से सरकार लेकर आ रही है। इसमें सबसे ज्यादा मरण छोटे व्यापारियों का होने वाला है। बैंकों ने तो टेक्सो की आंड में अभी से अपने उपभोक्ताओं को लूटना शुरू कर दिया है।
GST
क्या क्या गुल खिलायेगा ,
यह देखने वाली बात होगी। इससे लालफीता शाही में जबरदस्त वृद्धि होगी। फिर से देश में इस्पेक्टर राज हावी हो जायेगा। कागजी कार्यवाही बहुत बढ जायेगी। छोटे छोटे व्यवसाय बन्द होने लगेंगे। देश में बेरोजगारी बढने लगेगी। नोकरी के अभाव में अपराध ,
अत्याचार , भ्रष्टाचार बढ जायेगा।
उक्त बाते तब सामने आ रही है ,
जब देश में Gst
लागू भी नहीं हुआ है। जब Gst
लागू हो जायेगा ,
तब नहीं मालूम कितने अत्याचार बढ जायेंगे।
Why petrol and diesel prices are not brought under GST. Now for petrol and diesel the central exise duty is 23% and state VAT is 34%. Total tax is 57%. If these essential products are brought under GST , the maximum tax will be only 28%, which means the prices of petrol and diesel can come down by almost 50%. The public at large will be benefited.
But sadly Modi government not including Petrol & Diesel in GST.
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Thanks & Vande Mataram!! Saroop Chattopadhyay.
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